संगमरमरी चट्टानों के बीच बिखरा नर्मदा का अनूठा सौंदर्य देखते न तो मन अघाता है और न आँखें ही थकती हैं।
पर्यटन के क्षेत्र में आध्यात्मिक पर्यटन एक नवीन आस्था है भारत ने सदा से ही ‘‘अतिथी देवो भवः’’ के संस्कारों का परिपोषण किया है। आध्यात्मिक पर्यटन स्थल से तात्पर्य किसी धर्म या धार्मिक व्यक्ति से संबंधित स्थल नही होता बल्कि ऐसा स्थल जहां व्यक्ति अपने आंतरिक चेतना के विकास प्राप्ति करता है। और इसका अनुसरण करने वालो को किसी खास धर्म के संबधित होना जरूरी नहीं है।
यह दर्रा समुद्र तल से 4,111 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। इस दर्रे का पुराना नाम 'भृगु-तुंग' था, 'रोहतांग' नया नाम है। यहाँ से पहाडों, सुंदर दृश्यों वाली भूमि और ग्लेशियर का शानदार दृश्य देखा जा सकता है।

Pay With Easebuzz
Pay With Eazypay